जब हम जवान थे - सतीश सक्सेना
चले सावन की मस्त बहार
हवा में उठती एक सुगंध
कि मौसम दिल पर करता चोटहमारे दिल में उठे हिलोर
किन्ही सुन्दर नैनों से घायल होने का मन करता है !
किसी चितवन की मीठी धार
किसी के ओठों की मुस्कान
ह्रदय में उठते मीठे भाव
देख के बिखरे काले केश
किसी के दिल की गहरी थाह नापने का दिल करता है !
किसी के मुख से झरता गान
घोलता कानों में मधुपान
ह्रदय की बेचैनी बढ़ जाए
जान कर स्वीकृति का संकेत
कहीं से लेकर मीठा दर्द, तड़पने का दिल करता है !
कहीं नूपुर की वह झंकार
कहीं कंगन की मीठी मार
किन्ही नयनों से छोटा तीर
ह्रदय में चोट करे गंभीर
कसकते दिल के गहरे घाव दिखाने का दिल करता है !
झुकाकर नयन करें संकेत
किसी के मौन ह्रदय की थाह
किसी को दे डालो विश्वास
कहीं पूरे कर लो अरमान
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
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- @ यौवनोत्सुक कवि सतीश जी ! आदर्श युवा अमित जी से सहमत हो जाऊं या नहीं ?
कुछ तय नहीं कर पा रहा हूं ।
बस इतना कहूंगा कि आंवले मार्कीट में आ चुके हैं , एलोवेरा के जूस में मिलाकर हफ़्ता दस दिन पी लीजिए बदन के कोन कोने से पुरानापन दूर होकर यौवन की कौंपले फूट पड़ेंगी ।
अब आप जो गीत गाएंगे उसे सार्थक करने की क्षमता पर्याप्त से अधिक होगी आपमें। होड़ भी लग सकती है कि सतीश जी से गाना हम भी सुनेंगे क्योंकि सतीश जी जो गाते हैं ,वह करके भी दिखाते हैं ।
जब आप घर में गाएंगे तो अमित जी की ताई भी 'वाह वाह' ही करेंगी ।
सभी खाएं और सभी गाएं ! आनंद से यह सर्दी मनाएं !!