Sunday, November 28, 2010

Best comment no. 3 जवानी दोबारा हासिल करने का बिलकुल आसान उपाय

जब हम जवान थे - सतीश सक्सेना

जब भी अजय कुमार झा को देखता हूँ एक हूक सी उठती है कि हम भी कभी ऐसे ही लगते थे उन्ही दिनों की तड़प  महसूस करें ! शायद आप लोग पसंद करें !  


चले सावन की मस्त बहार
हवा में उठती एक सुगंध
कि मौसम दिल पर करता चोट
हमारे दिल में उठे हिलोर
किन्ही सुन्दर नैनों से घायल होने का मन करता है !

किसी चितवन की मीठी धार
किसी के ओठों की मुस्कान
ह्रदय में उठते मीठे भाव
देख के बिखरे काले केश
किसी के दिल की गहरी थाह नापने का दिल करता है !

किसी के मुख से झरता गान
घोलता कानों में मधुपान
ह्रदय की बेचैनी बढ़ जाए
जान कर स्वीकृति का संकेत
कहीं से लेकर मीठा दर्द, तड़पने का दिल करता है !

कहीं नूपुर की वह झंकार
कहीं कंगन की मीठी मार
किन्ही नयनों से छोटा तीर
ह्रदय में चोट करे गंभीर
कसकते दिल के गहरे घाव दिखाने का दिल करता है !

झुकाकर नयन करें संकेत
किसी के मौन ह्रदय की थाह
किसी को दे डालो विश्वास
कहीं पूरे कर लो अरमान
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
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DR. ANWER JAMAL said...
@ यौवनोत्सुक कवि सतीश जी ! आदर्श युवा अमित जी से सहमत हो जाऊं या नहीं ? कुछ तय नहीं कर पा रहा हूं । बस इतना कहूंगा कि आंवले मार्कीट में आ चुके हैं , एलोवेरा के जूस में मिलाकर हफ़्ता दस दिन पी लीजिए बदन के कोन कोने से पुरानापन दूर होकर यौवन की कौंपले फूट पड़ेंगी । अब आप जो गीत गाएंगे उसे सार्थक करने की क्षमता पर्याप्त से अधिक होगी आपमें। होड़ भी लग सकती है कि सतीश जी से गाना हम भी सुनेंगे क्योंकि सतीश जी जो गाते हैं ,वह करके भी दिखाते हैं । जब आप घर में गाएंगे तो अमित जी की ताई भी 'वाह वाह' ही करेंगी ।
सभी खाएं और सभी गाएं ! आनंद से यह सर्दी मनाएं !!

Monday, October 25, 2010

Best comment 2 मजा तो तब आये कोई सुज्ञा भी ब्लॉग जगत में मिल जाए और सुग्य और सुज्ञा का एक जोड़ /जोड़ा बने

   जब मैने अपना उपनाम ‘सुज्ञ’ चुना तो इतना गहन चिंतन किया कि इससे मेरा सम्पूर्ण व्यक्तिव ही प्रकट हो जाय। ‘सुज्ञ’= सच्चा ज्ञान जो सुगमता से आत्मसात कर ले  ‘सुविज्ञ’ नहिं जिससे विशेष ज्ञान होने का गर्व ध्वनित होकर पुष्ठ होता हो।
मैं सभी दर्शनों का विद्यार्थी हूं, सभी दर्शनों का गुणाभिलाषी हूं, वस्तूतः मैं गुणपूजक हूं।
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Comment- इतनी आत्मकेंद्रित अभिव्यक्ति तनिक अनुचित मानी जाती है अकादमियां में मगर ब्लॉग जगत के लिए बिलकुल सटीक है ...
और हाँ आपका जब नाम मतलब उपनाम पहली बार देखा तो कुछ विचित्र सी अनुभूति हुयी -उसे बयान करने की अनुमति चाहता हूँ ...(आपने दे दी होगी ) ....प्रथम दृष्टि में यह नाम आई मीन उपनाम एकदम से अलग हट कर विशिष्ट सा लगा था -विज्ञ से तो पहले परिचित था विद से भी जिसका मतलब जानना होता है ..लेकिन सुग्य ...भाया था यह नाम ..
मगर फिर सहसा फितरती मन एक याद में खो गया ..हमारे यहाँ तोते को सुग्गा कहते हैं -आप जानते हैं सुग्गा एक प्रसिद्द पालतू पक्षी है जिसे लोग राम नाम कहना सिखाते हैं ...अब सुग्गा का अर्थ विन्यास क्या होगा ? सु मतलब सुन्दर तो सुन्दर गाने वाला -या सुन्दर ज्ञान रखने वाला (सुज्ञा!) मगर आपके ब्लॉग पर हंस का चित्र है तो आप सुग्गा नहीं हो सकते इसलिए नीर क्षीर विवेक वाले सुज्ञ हुए ...
मजा तो तब आये कोई सुज्ञा भी ब्लॉग जगत में मिल जाए और सुग्य और सुज्ञा का एक जोड़ /जोड़ा बने ..क्योंकि तोता मैना की कहानी अब पुरानी हो गयी :)
क्या समझे ?
चलिए ब्लागीय प्रलाप समझना कोई जरूरी तो नहीं !

Sunday, October 24, 2010

Best comment 1 ईर्ष्या एक घातक मानसिक रोग है

ईर्ष्या एक घातक मानसिक रोग है, इसका उदाहण ब्लॉग-जगत में भी मौजूद है।

अब मुझसे ईर्ष्या करने वाले एक अत्यंत बुद्धिजीवी ब्लोगर ने मेरे ही नाम की एक फर्जी 'ZEAL '- ID बनायीं है । जिससे वो हर एक ब्लॉग पर जाकर मेरे नाम से उलटी-सीधी टिप्पणियां कर रहा/रही है।

पाठकों को सचेत करना मेरा फर्ज था , इसलिए कर दिया।

अपनी हिफाज़त करना अब आपके ही हाथ में है।

उस फर्जी ZEAL - ID se संवाद अथवात्राचार सोच समझकर कीजियेगा।

और उस फर्जी ZEAL - ID...द्वारा की गयी अभद्र टिप्पणियों की जिम्मेदार मैं नहीं होउंगी।

शुभकामनाओं सहित , दिव्या

Zeal को धन्यवाद